Monday, February 2, 2009

हम जंगल के अमलतास

मेरी २४ वीं सद्य प्रकाशित काव्य कृति "हम जंगल के अमलतास" का आवरण पृष्ट

हम जंगल के अमलतास के पृष्ठ भाग में अंकित मेरा संक्षित परिचय

-आचार्य भगवत दुबे, जबलपुर

8 comments:

  1. आचार्य जी का ब्लॉग देखकर हार्दिक प्रसन्नता हुई. स्वागत है.

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    1. Bhagvat dubey ji ka page

      https://m.facebook.com/Bhagvatdubey18/?ref=bookmarks

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  2. समीर जी
    विजय तिवारी 'किसलय' के आवास पर
    आयोजित गोष्ठी में आप से मिलकर
    आंतरिक हर्ष का अनुभव हुआ.

    आपने मेरे ब्लॉग को देखा , आभार
    - आचार्य भगवत दुबे

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  3. आचार्य जी का ब्लॉग देखकर हार्दिक प्रसन्नता हुई

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    1. https://m.facebook.com/Bhagvatdubey18/?ref=bookmarks

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  4. आपकी पुस्तक का शीर्षक बहुत आकर्षक है!
    आपने अपना परिचय तो दे दिया,
    कुछ इस पुस्तक के बारे में भी बताइए!

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  5. बुजुर्ग युवा भगवत दुबे जी का ब्लागजगत में स्वागत हे ...वर्ड वेरीफिकेसन हटाने का निवेदन ..

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    1. https://m.facebook.com/Bhagvatdubey18/?ref=bookmarks

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